अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50% टैरिफ भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में तनाव: ट्रंप के टैरिफ की भूमिका


भारत और अमेरिका के बीच दशकों पुराने व्यापारिक रिश्ते दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे तेज़ी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच सामरिक सहयोग का प्रतीक रहे हैं। लेकिन जब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने, तो उनकी “America First” नीति और टैरिफ आधारित रणनीति ने इन संबंधों में नया मोड़ ला दिया। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि ट्रंप की टैरिफ नीति क्या थी, कैसे इसने भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों को प्रभावित किया और इसका दीर्घकालिक प्रभाव क्या रहा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाने के फैसले पर चीन ने कड़ी नाराजगी जताई है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया है। उनका कहना है कि अमेरिका टैरिफ को हथियार बनाकर अन्य देशों को दबा रहा है। भारत ने भी ट्रंप के फैसले पर आपत्ति जताई है।


🇺🇸 ट्रंप की टैरिफ नीति का उद्देश्य क्या था?

डोनाल्ड ट्रंप ने व्यापार घाटा कम करने और अमेरिकी उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए टैरिफ नीति को हथियार बनाया।
उनका मानना था कि कई देश, विशेषकर भारत और चीन, अमेरिकी बाज़ार का लाभ उठा रहे हैं और बदले में अमेरिकी उत्पादों को अपने देशों में सीमित कर रहे हैं।

मुख्य निर्णय:

  • स्टील पर 25% और एल्युमिनियम पर 10% शुल्क (मार्च 2018 से लागू)
  • भारत से आयातित वस्तुओं पर अधिक शुल्क
  • 2019 में भारत को जीएसपी (Generalized System of Preferences) से बाहर कर दिया गया — इस योजना के तहत भारत के 2,000+ उत्पाद अमेरिकी बाज़ार में शून्य शुल्क पर भेजे जाते थे।

🇮🇳 भारत पर असर

  1. निर्यात को नुकसान:
    टैरिफ के चलते भारत से अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले उत्पाद महंगे हो गए, जिससे प्रतिस्पर्धा में गिरावट आई। इससे कपड़ा, रत्न-आभूषण, कृषि और दवा जैसे क्षेत्र प्रभावित हुए।
  2. GSP का समाप्त होना:
    जीएसपी समाप्त होने से भारतीय उत्पादों की लागत बढ़ गई और छोटे उद्यमों को बड़ा झटका लगा।
  3. राजनयिक तनाव:
    दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ताएं कई बार टकराव में बदल गईं। भारत ने जवाबी टैरिफ लगाकर अपनी स्थिति स्पष्ट की।

🔁 भारत की जवाबी नीति

भारत ने अमेरिकी टैरिफ के जवाब में कई अमेरिकी वस्तुओं जैसे बादाम, अखरोट, सेब, और कृषि उपकरणों पर शुल्क बढ़ा दिया।
यह कदम ट्रंप सरकार को यह संदेश देने के लिए था कि भारत अपनी व्यापारिक स्वतंत्रता के साथ समझौता नहीं करेगा।

कुछ प्रमुख उत्पाद जिन पर भारत ने टैरिफ बढ़ाया:

  • अमेरिका से आने वाले बादाम पर 120% शुल्क
  • अखरोट पर 120%
  • सेब पर 70% तक शुल्क

📉 व्यापार आंकड़ों पर प्रभाव

  • भारत का अमेरिका को निर्यात GSP समाप्त होने के बाद गिरा।
  • दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा ट्रंप प्रशासन के दौरान लगातार चर्चा का विषय रहा।
  • 2018-2019 में भारत से अमेरिका को निर्यात लगभग $52.4 बिलियन था, जो अगले वर्षों में धीमा पड़ा।

🧭 दीर्घकालिक प्रभाव

  1. नई व्यापार रणनीति:
    भारत ने अन्य बाजारों जैसे यूरोपीय संघ, जापान, ऑस्ट्रेलिया और ASEAN देशों के साथ व्यापारिक रिश्ते मजबूत करने की कोशिश की।
  2. आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम:
    ट्रंप की नीति ने भारत को अपनी उत्पादन क्षमता और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूत करने के लिए प्रेरित किया।
  3. टेक्नोलॉजी और रक्षा क्षेत्र में अलग मोर्चा:
    व्यापार तनाव के बावजूद, भारत और अमेरिका के संबंध रक्षा, तकनीक और डिजिटल क्षेत्र में आगे बढ़ते रहे।

🧠 निष्कर्ष:

ट्रंप के टैरिफ ने भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में निश्चित रूप से तनाव पैदा किया। हालांकि यह तनाव अस्थायी था, लेकिन इसने भारत को अपने व्यापारिक दृष्टिकोण की समीक्षा करने के लिए मजबूर किया।
भारत ने संकट को अवसर में बदला और अपनी रणनीतियों को विविध बनाते हुए वैश्विक स्तर पर मजबूती की दिशा में कदम बढ़ाया।

आज जब दोनों देश फिर से व्यापार समझौतों और सहयोग की ओर बढ़ रहे हैं, तो यह अनुभव उनके संबंधों को और परिपक्व बनाने में सहायक सिद्ध हो रहा है

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