अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीतियाँ अक्सर वैश्विक राजनीति और कूटनीति की दिशा तय करती हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की “America First” नीति ने वैश्विक व्यापार पर गहरा प्रभाव डाला। उन्होंने कई देशों पर टैरिफ (आयात शुल्क) लगाए, जिनमें भारत भी शामिल था। इस ब्लॉग में हम समझेंगे कि ट्रंप की टैरिफ नीति क्या थी, भारत पर उसका क्या असर पड़ा और भविष्य के लिए इससे क्या सबक लिए जा सकते हैं।
🔎 ट्रंप की टैरिफ नीति क्या थी?
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने व्यापार घाटा कम करने और अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयात शुल्क बढ़ाने की नीति अपनाई। उन्होंने इसे “America First” नीति का हिस्सा बताया।
प्रमुख बिंदु:
- स्टील और एल्युमिनियम पर टैरिफ:
ट्रंप प्रशासन ने 2018 में स्टील पर 25% और एल्युमिनियम पर 10% शुल्क लगाया। - GSP (Generalized System of Preferences) समाप्त:
भारत को मिलने वाली जीएसपी सुविधा को 2019 में समाप्त कर दिया गया, जिससे कई उत्पादों पर शून्य शुल्क समाप्त हो गया। - भारत के कुछ प्रमुख निर्यात क्षेत्रों पर शुल्क वृद्धि:
मेडिकल डिवाइसेज़, कृषि उत्पाद, और मशीनरी पर टैरिफ बढ़ाए गए।
🇮🇳 भारत पर प्रभाव
- निर्यात में गिरावट:
भारत के कई उत्पाद जो पहले बिना शुल्क के अमेरिका जाते थे, अब टैरिफ लगने के कारण महंगे हो गए। इससे अमेरिका को भारतीय निर्यात में गिरावट दर्ज की गई। - व्यापार घाटे में वृद्धि:
भारत का अमेरिका के साथ व्यापार संतुलन बिगड़ने लगा क्योंकि अमेरिकी कंपनियों ने सस्ते विकल्प तलाशने शुरू कर दिए। - छोटे और मध्यम उद्यमों पर असर:
विशेष रूप से वे उद्यम जो अमेरिकी बाज़ार पर निर्भर थे, उन्हें भारी नुकसान हुआ। - कूटनीतिक तनाव:
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर मतभेद बढ़े। हालांकि दोनों देशों ने वार्ता के माध्यम से समाधान निकालने की कोशिश की।
🔁 भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिका के 28 उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा दिए, जिनमें बादाम, सेब और अखरोट जैसे उत्पाद शामिल थे। यह कदम संतुलन बनाने के लिए उठाया गया था।
📈 दीर्घकालिक प्रभाव और सबक
- नए बाज़ारों की तलाश:
भारत ने यूरोप, अफ्रीका और एशियाई देशों के साथ व्यापार संबंध मजबूत करने शुरू किए। - आत्मनिर्भर भारत की ओर रुझान:
टैरिफ नीति ने भारत को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दी। मैन्युफैक्चरिंग और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ शुरू की गईं। - नीतिगत सुधार:
भारत ने अपने व्यापारिक कानूनों और प्रक्रियाओं को अधिक प्रतिस्पर्धी और अनुकूल बनाने की दिशा में कदम उठाए।
🧠 निष्कर्ष:
ट्रंप की टैरिफ नीति ने भारत के लिए तत्कालिक रूप से चुनौती खड़ी की, लेकिन उसी चुनौती ने भारत को अपने व्यापारिक ढांचे पर पुनर्विचार करने का अवसर भी दिया। भारत ने न केवल टैरिफ नीति का सामना किया बल्कि दीर्घकाल में इससे उबरने और मज़बूत होने के रास्ते भी बनाए।
आज जब भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में तेजी से उभर रहा है, तो यह अनुभव भविष्य की रणनीति निर्धारण में एक मार्गदर्शक के रूप में काम कर

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